कासरगोड़
जिले के भगवती नगर नामक एक
गाँव का किसान है भास्करन ।
उनकी शादी हुई है लेकिन बच्चे
नहीं हैं ।आठ साल से खेती कर
रहे हैं । पत्नी भी उनकी मदद
कर रही है । परंपरा से उनके
परिवारवाले खेती कर रहे हैं
। सन २००७ में उनकी माँ मर गई
। माँ की मृत्यू के कारण उस
साल खेती में नुक्सान न होने
केलिए बास्करन ने खेत में काम
करने लगा ।वे खेती से आदर
करनेवाला इनसान है ,मेहनती
है और ईमानदारी से खेती का काम
करते हैं। धीरे-धीरे
फसल में कमी हो गई और उनको खेती
में रुचि कम होने लगी । बीज
बुरा होने से ऐसा हुआ था ।पत्नी
से सारी बातें वे बता दिए ।पत्नी
और उनके परिवारवाले मिलकर
अच्छे बीज-दान
जुगाड़ दिए । तबसे उनकी खेती
में प्रगति हो गई । खेती के
साथ रिकशा चलाकर भी वे पैसा
कमाते हैं । वे हमेशा कहते हैं
कि अगर उन्हें बच्चा हो तो
अपने बच्चे को खेती की महत्व
समझाकर उसे भी खेती का काम
करने केलिए प्रोत्साहन देता
।ताकि यह परंपरा बड़ती जाय
और भविष्य में लोग खेती का काम
बढ़ाए ।
(नवीं
दर्जे की पहली इकाई के उपज के
रूप में 'ए'
डिविशन
का 'भास्करन'
दल
की प्रस्तुति )ഹിന്ദി അധ്യാപകനായ ഗണേശന് കോളിയാട്ട് പ്രസിദ്ധീകരിച്ചത്.